पप歳、अअ現実、सुकसुकगगग現家फिलなりसफइनइनदなりदするछोटीछोटीछोटीबबबबपपप業उनउनउनकहなりमनुषです。 次のページに戻る
एकबातऔरउन्होंनेकहीकिआजकीउपलब्。 आज जो मैंने कमाया, जो मेरे परमात्मा ने मुझे दिया उस पर सन्तोष कर लो लेकिन भावी प्रगति की आशा मत छोड़ना। आगे पुरूषार्थ करने को सदैव तत्पर रहो, आगे बढ़ने का प्रयास करते रहो किन्तु जो आज तक परमात्मा ने दिया उसे स्वीकार कर, परमात्मा का धन्यवाद करो, सन्तोष करो। आजमनुष्यकेपाससबकुछहै、सन्तोषनहीत इसलियेसारेदुःखीहैं。 रात-दिन बेचैनी रहती है और जब कुछ नहीं बन पाता तब कहता है क्या करें? सब्रकरनापड़ेगाऔरकोईउपायनहींहै। लेकिनसबलेकिनसब役、सनसनअगअग現計हमेंसदहमेंなりでなげजिसहृदयमेंसन्तोषरहताहैतबआदमीशा शांतिसेप्रसन्नताआतीहै。
जो अन्दर से असन्तुष्ट है, वह कभी मुस्कुरा नहीं सकता, हर समय बेचैन रहता है। सन्तुष्टव्यक्तिमुस्कुरातारहताहै। मनुष्य के पास अगर थोड़ा भी है, फिर भी वह सन्तुष्ट है, प्रसन्न है, परमात्मा का धन्यवाद करता है, तो वह किसी राजा-महाराजा से कम नहीं है। अगर बहुत कुछ होते हुये भी सन्तुष्ट नहीं, बेचैन है तो बड़े महल में रहते हुये भी उससे कंगाल और गरीब कोई नहीं क्योंकि उसके अन्दर सन्तुष्टि नहीं है, सन्तुष्टि जरूरी है। लेकिन जो दिया कम नहीं है, उसकी खुशी मनाओ, भावी प्रगति की आशा मत छोड़ो।
आज मानव इसलिये भी दुःखी है कि आज उसके पास जो है, जितना है, जैसा प्राप्त है, जिस तरह का है, उसमें तो उसे सन्तोष है नहीं, जो नहीं है, जैसा नहीं है, जिस तरह का नहीं है और होना चाहिये-जब जोनहींहैउसकीतरफबार-बारध्यानजानेस पहलेतोआदमीमांगताहै、हेपरमात्मा! दस बीस हजार रूपये ही मिल जाये फिर मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जबपजब業者मदेदेदियेऔऔऔपचपचपचपचपच फिरभगवानसेकहताहैयहतोकाफीकमहैं। गलतीहोगई、जल्दबाजीमेंजराकममांगबैत आपभीउतावलेपनमेंथोड़ा-साहीदेकरकामम कृपयापचासहजारदेदीजिये、फिरमागूंगानन पम婦するげकमकमकम愛पचपचपचなりदेकदेकदेकदेखतदेखतदेखतするकिकिसन पचास लेने के बाद भी कहता है भगवान क्या करूं, महंगाई बहुत बढ़ गई है 2 लाख दे दो। परमात्मा दो लाख देकर भी देखता है परन्तु इन्सान की थैली तो रबड़ की बनी हुई है, रोज खींचतान करके बड़ा कर लेता है उसे। देनेव€€दे-देक€नहीं、लेनेव#€するまみ - ज#€するまち、उसक#धन★€कक愛。
भगवान की कृपा का धन्यवाद देना आना चाहिये किन्तु धन्यवाद वह देगा जो सन्तुष्ट है। ससなりआधआधなりअधूअधू、बेचैन-वव★€兄弟、वहवहなり鶏ंगなりするげजज愛、धनなりするげकक愛ज#जजなりनतजजなりでなげजो है, जो भगवान ने तुम्हें दिया है, उसका भगवान को धन्यवाद दो और भावी प्रगति की आशा रखो।
दूसरोंकेदोषढूंढनेमेंअपनीशक्ति。 अपनेआपकोऊँचऊँचなりउठするकするकするकする。 यहमूल्यवानसूत्रहै。 हमयहीढूंढनेमेंमेंहतेलगे कवि ने कहा है- तू जो करता है औरों की तरफ अंगुस्त नुमाई देख, तीन तेरी झुकी हुई है।
अगर तू दूसरे की तरफ उंगली उठायेगा तो तेरी तरफ भी तीन उंगलियां इशारा करने को झुकी हैं पहले ही और वे कह रही होगी, अपनी वाणी को तू देख, अपने मन को तो टटोल और कर्म की ओर भी ध्यान दे। इसलियेअपनीयहकमजोयहकमजोबनबनबनबनबनकिजबहो नीतिकार ने भी एक स्थान पर कहा-अगर तुम चाहते हो, तुम्हें मान और प्रतिष्ठा मिले-एक कार्य करना, तुम्हारी जीभ रूपी गऊ है। यह दूसरे के मान की हरी-भरी खेती को उजाड़ने के लिए तत्पर रहती है। इसे जरा खूंटे से बांधकर रखो, तुम्हारी प्रतिष्ठा और मान चरती रहेगी, कमाल करती है यह जीभ, ऐसी बिगड़ गई है कि दूसरे की मान ही हरी-भरी खेती को देखते ही इसका मन करता है कि जाऊ और उसको कैसे उजाड़कर आऊं। अगर कोई किसी आदमी के लिये कहे कि वह आदमी बड़ा दानी है, बड़ा पुण्यात्मा है, बड़ा धर्मात्मा है, सेवा में तत्पर रहता है, हर किसी की भलाई करता है, सुनने से बहुत देर बाद कहोगे- हो तो नहीं सकता है। अगर कोई कह दे- बड़ा चोर है, बड़ा लुटेरा है, बड़ा ठग है, बड़ा बेईमान है फिर तो आपको कुछ और पूछने की जरूरत ही नहीं है, आप तुरन्त कहेंगे-हां हो सकता है, हो सकता है।
किसी की भी ऊँचाई, अच्छाई मानने को हम तत्पर नहीं होते लेकिन किसी के लिये अगर कोई दोष लगा दें, तो कितनी जल्दी मान लेते हैं क्योंकि हम सोचते हैं कि जब मैं ऊँचा नहीं हो पाया तो वह कैसे ऊंचा हो जायेगा? अपनेअभिमानऔरअहंकारपरचोटपड़तीहैन परयहहमारीऊँचाईनहींहै। कठिनाइयोंकोदेखकरभयभीतनहींहोना।
कठिनाइयाँ आएंगी, परीक्षा लेगी, न कभी निराश होना, न कभी भयभीत होना, न समस्या से भागने की कोशिश करना। धैर्य से, साहस से उनके निवारण करने के जो उपाय हैं, उन निवारण करने के उपायों के बारे में पूरी शक्ति से प्रयत्न करो। जो आपदाये, जो कठिनाइयां आपके मार्ग को रोकती है उनसे साहस से, हिम्मत से डटकर मुकाबला करो। येपंक्तियांभीध्यानदेनेयोग्यहै-
हर किसी में अच्छाई को ढूंढ़ो, उससे कुछ सीखकर अपना ज्ञान और अनुभव बढ़ाओ। इससेतुमबहुतजल्दीऊँचाईतकपहुँचसक पहला कार्य हम सब को करना है कि असंयम जो अपने अन्दर है, उसके पार जाने का प्रयास अर्थात संयम सीखें। आवेशमेंआकरहमअपनाबहुतकुछबिगाड़लॲ आजकल मेडिकल साइंस बार-बार कह रही है- आपकी सेहत को, स्वास्थ्य को खराब करने वाली चीज, आपके हृदय पर आघात डालने वाली चीज आपका क्रोध, आपका आवेश है। जो आदमी बात-बात पर खीजता रहता है, बात-बात में झगड़ता रहता है, छोटी-सी-छोटी बात में दुःखी हो जाता है ऐसे व्यक्ति को हृदय की बीमारी ज्यादा होगी। प्रयासकरोहरदमखुशरहसको。 खीजने की, दुःखी होने की, क्रोध करने की, उतावलापन पैदा करने की आदत से बचिये। अगर किसी के अन्दर ऐसी आदत है तो उसे पहला कार्य यह करना चाहिये- भोजन करने बैठें तो जल्दबाजी में भोजन कभी नहीं करना चाहिये, प्रसन्नता से भोजन करें। होसकेतोभोजनकेसमयमधुरसंगीतसुनत अन्न-देवताकासम्मानकरो。 प★€するまされたक#aveयवयवक愛ul、तुमनेतुमनेककक現पपなりするげ、कृपकृप、यहबब現面上のदूसरीबातकिसीभीस्थितिमेंनघबराये、 संयम से, धैर्य से चलने की कोशिश करें कि जिससे आपके अन्दर अधिक उतावलापन न आये और क्रोध न बढ़े।
तीसरी बात ज्यादा क्रोध, उतावलापन, खीझ, परेशानी बढ़ती हो तो आदमी को पानी ज्यादा पीना चाहिये। पांच-छःगिलासपानीपीनेकारोजकानियमबन जलजीवनहै、ज्यादापानीपियेऔरसैरकरे。 कहावत भी है- पेट नरम, पांव गरम, सिर ठंडा, डाक्टर आये तो मारो डंडा। तुक मिलाने के लिये कहा गया है, मतलब यह कि डाक्टर की जरूरत नहीं पड़ती।
जिस आदमी का पेट नरम है, आंते गन्दगी से भरी हुई नहीं है, पांव गरम है, वह सैर करता रहता है। सिर ठंडा अर्थात दिमाग को ठंडा करके चलता है फिर उसे डाक्टर की जरूरत नहीं रहती है। पांच करोड़ रोम-छिद्र हैं शरीर में जहां से पसीना बहाना आवश्यक है। यदि जीवन का स्वाद लेना है तो परिश्रम करना चाहिये, पानी ज्यादा पिये, सैर करें और दिन में दो-चार बार खुल कर हंसें। जबकिसीबातपरगुस्साआयेतोध्यानबंटाल अपनीजीभकोदांतोंसेदबाकर、अपनेगुरू उसजगहकोथोड़ीदेरकेलियेछोडदें。 येसारेप्रयोगजल्दी-जल्दीकरनाचाहिये येसारेप्रयोगतीरछुटनेसेपहलेकरलर क्रोध की लहर पैदा होने से पहले ही उसे रोक लिया जाये तो ठीक हैं, अगर अग्नि भड़क गई तो फिर किसी से रूकनेवाली नहीं है।
मनुषमनुषमनुषकीकमजोकमजोकमजोहैऔ業者、जिसमेंवववअपन現家अपनなりするままककककする。。 इनउपかそうकोजीवनमेंजなりするまでीीी現計भगवभगवभगवकेच現चपपपप現。
सस्नेहआपकीमाँ
शोभाश्रीमाली
取得することは必須です 達人ディクシャ Sadhanaを実行する前、または他のDikshaを取る前にRevered Gurudevから。 お問い合わせください カイラッシュシドダシュラム、ジョードプル メール , WhatsApp , 電話 or 要求を提出する 奉献されて活力を与えられ、マントラで聖化されたサダーナ教材とさらなる指導を得るために、