एक बार जब विश्वामित्र, भगवान राम व लक्ष्मण को धनुर्विद्या का ज्ञान दे रहे थे, तब उन्होंने उन दोनों राजपुत्रें को सर्वप्रथम काल (क्षण) का ज्ञान कराया, क्योंकि किसी भी कार्य की पूर्णता काल ज्ञान के बिना असम्भव है। उनउनउनहोंनेहोंनेなりयकिकिमेंपपपपपपपपप現家समसमसमसमभवनहींकतुमतुमतुमतुमककक
लक夫号विशविशविशविश現家विशमितप現。
उन夫प白ですहोंनेहोंनेहोंने現家कहकह現。कहकहकह現。 फिफि婦 -लक#答えなりसेकहなりतुमअपनेपなりするまって
लक夫श白मणमण現家ननकेलियेलियेलियेगयेऔऔऔऔऔककककककससससससससするकです。 फिफि婦 -लक# लक#लक族कहकहकहकहअबसस現वयंजज現面下、उनततततपतपतपतऔ対कोऔऔऔऔ対。
लक夫号पपなりसするजするजするकिपहलなりपतです。 तीसतीस因च白कीです。
तबतबविशなり飼いषするलकする。 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . の . फिर विश्वामित्र ने लक्ष्मण को समझाते हुये कहा क्षण विशेष की कितनी अधिक महत्ता है, कि पहला पत्ता स्वर्ण का बन गया और सातवां पत्ता वही ताड़ का पत्ता ही रहा, या तो सातों पत्ते स्वर्ण के ही बन जाते या फिर सातों पत्ते ताड़ के ही बने co、मगमगमगमग対वह現計
जीवनकीसार्थकताविशेषक्षणोनहीछुपीहै। जीवनकीसार्थकताविशेषक्षणोंहीछुपीहै। इसविशिषविशिषइसविशिषतत現家तなりयोदशीするकुबेする。ですके#なりするが
ジョン・ケイ・ナナ・タ・オ・オ・オ・パ・ロムआजकेआजकेयुगなりअअअथहीन、वहशकशकवहवहकहलなりするまみआज के इस परिवर्तनशील युग में किसी ऐसे सक्षम उपाय की आवश्यकता प्रत्येक गृहस्थ व संन्यासी को पड़ती है, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण कर जीवन की प्रत्येक समस्या से मुक्ति पा सकें, इसीलिये देवराज इन्द्र ने इस महत्वपूर्ण साधना को धन त्रयोदशी के दिन संपन्न कर अपनेज्यमेंधनकीवर्षाकी।です。
देव左手
इसस#€€को13
सस果धक白ですदिश#avhourकीओ左手अपनेस# ब##€जोटपなりधनदするकमलする。ですयंत#なりद現。 फिफिビスタン
アメリカ合衆国、
गगाγछनछन歳、शशशमहな約
ॐशशश ॐश現。बなりするまで、गです。गです。
शिशि因विषविषविषविष歳पतपत、लल#€टेचकसुसु現विशविशविश★するまみ、शश現計कुक夫चवैषवैषचなりप、ननभुवनभुवन-मम果。
इस कवच का 5 पाठ कर दक्षिणा चढ़ायें। でした。 ケリー・アインシュタインは、5月XNUMX日から始まりました。
लकलकカー者मीमीआगुगु業者गुगु現計स宅€するまっているणहोनेなりするまでयंतयंतयंत現計
取得することは必須です 達人ディクシャ Sadhanaを実行する前、または他のDikshaを取る前にRevered Gurudevから。 お問い合わせください カイラッシュシドダシュラム、ジョードプル メール , WhatsApp , 電話 or 要求を提出する 奉献されて活力を与えられ、マントラで聖化されたサダーナ教材とさらなる指導を得るために、